राज्य विधानमंडल
राज्य विधानमंडल भाग-2
विधान परिषद :-
- विधान परिषद राज्य विधानमंडल का उच्च सदन कहलता है, इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
- विधान परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए एकल संक्रमणीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से चुने जाते हैं।
- विधान परिषद के सदस्यों की अधिकतम संख्या विधानसभा की एक तिहाई और न्यूनतम संख्या 40 निर्धारित है।
- विधान परिषद की सदस्य संख्या को निर्धारित करने का अधिकार संसद को दिया गया है।
- निर्वाचन पद्धति -
- कुल सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों जैसे :नगरपालिका और जिला बोर्ड से चुने जाते है।
- 1/12 सदस्यों का चुनाव राज्य में 3 वर्ष से रह रहे स्नातक निर्वाचित करते हैं।
- 1/12 सदस्यों का चुनाव 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे अध्यापक चुनते हैं लेकिन अध्यापक माध्यमिक स्कूल से कम के नहीं होने चाहिए।
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- बाकी सदस्यों का नामांकन राज्यपाल द्वारा किया जाता है जिनको साहित्य, विज्ञान, कला, समाज सेवा में विशेष ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव हो।
- राज्यपाल द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
विधान परिषद का कार्यकाल :-
- राज्यसभा के समान विधान परिषद एक सतत सदन है जो कभी विघटित नहीं होता है।
- विधान परिषद के एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष सेवा निवृत्त होते रहते हैं।
- विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है।
विधान परिषद का सभापति :-
- विधान परिषद के सदस्य अपने बीच में से ही सभापति का चुनाव करते हैं। सभापति के वेतन का निर्धारण विधानमंडल तय करता है और यह संचित निधि से दिया जाता है।
- पद रिक्तता -
- यदि सदन की सदस्यता समाप्त हो जाए।
- यदि उपसभापति को लिखित त्यागपत्र दे।
- यदि विधानपरिशद के सभी सदस्य बहुमत से हटाने का संकल्प पारित कर दें, लेकिन इसके पूर्व 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है।
विधान परिषद का उपसभापति :-
- सभापति की भांति उपसभापति का चुनाव विधान परिषद के सदस्य अपने बीच में से ही करते हैं।
- पद रिक्तता -
- यदि विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो जाए।
- सभापति को लिखित त्यागपत्र देने पर।
- परिषद के तत्कालीन सदस्य बहुमत से हटाने का संकल्प पारित कर दें लेकिन इसके पूर्व 14 दिन का नोटिस देना अनिवारी है।
- कार्य -
- विधान परिषद का उपाध्यक्ष सभापति की अनुपस्थित में सदन की अध्यक्षता करता है और अध्यक्षता के समय उसकी शक्तियाँ विधान परिषद के सभापति के समान होती हैं।
सभापति तालिका :-
- विधानसभा की तरह विधान परिषद में सभापति तालिका सभापति द्वारा सदस्यों में से बनाई जाती है।
- सभापति और उपसभापति की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता सभापति तालिका के सदस्य द्वारा की जाती है।
विधानमंडल के सदस्यों की अर्हताएँ :-
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- विधानसभा के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष और विधान परिषद के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होना चाहिए।
- निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के सम्मुख निर्धारित प्रारूप में शपथ लेना चाहिए।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 द्वारा निर्धारित अर्हताएँ-
- विधान परिषद में निर्वाचित होने वाला व्यक्ति विधानसभा का निर्वाचक होने की योग्यता रखता हो।
- राज्यपाल द्वारा नामित होने के लिए संबन्धित राज्य का निवासी होना चाहिए।
- विधानसभा के लिए निर्वाचित होने वाला व्यक्ति संबन्धित राज्य के निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
- अनुसूचित जाति/ जनजाति सीट के लिए एससी/एसटी का सदस्य होना चाहिए।
- निरर्हता -
- यदि वह केंद्र सरकार या राज्य सरकार के तहत लाभ के पद पर है।
- यदि वह विकृत चित्त का है।
- यदि दिवालिया घोषित किया गया है।
- यदि अन्य देश की नागरिकता स्वेच्छा से स्वीकार कर ली है।
- यदि संसद द्वारा किसी विधि के तहत उसे अयोग्य करार दिया हो।
- दल-बदल के आधार पर निरर्हतायें -
- दसवीं सूची के तहत यदि कोई व्यक्ति दल-बदल प्रावधान के तहत दोषी पाया जाता है तब वह राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं बन सकेगा।
- 10वीं अनुसूची के तहत निरर्हता के प्रश्न पर विधान परिषद में सभापति और विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम होता है।
- उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले के आधार पर अध्यक्ष और सभापति का यह फैसला न्यायिक परिधि में आता है।
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