राज्य विधानमंडल
संविधान में प्रावधान :-
- संविधान के भाग-6 में अनुच्छेद 168 से 222 तक राज्य विधानमंडल के गठन, कार्यकाल, अधिकारियों एवं शक्तियों का वर्णन किया गया।
- राज्यों में राज्य विधानमंडल के गठन में एकरूपता नहीं है कुछ राज्यों में विधानमंडल द्विसदनीय है जबकि अधिकतर राज्यों में विधानमंडल एक सदनीय है।
राज्य विधान मण्डल का गठन :-
- राज्य विधानमंडल में राज्यपाल और विंधानसभा शामिल होते हैं लेकिन जिन राज्यों में विधानमंडल द्विसदनीय है वहाँ विधान परिषद को भी शामिल किया जाता है।
विधानसभा का गठन :-
- विधानसभा को निचला सदन या लोकप्रिय सदन भी कहा जाता है।
- राज्य विधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से वयस्क मताधिकार द्वारा लोगों के माध्यम से होता है।
- विधानसभा में सदस्यों की अधिकतम सदस्य संख्या 500 एवं न्यूनतम संख्या 60 होती है।
- सिक्किम और नागालैंड में कुछ सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से भी होता है।
- यदि विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं है तब राज्यपाल एक सदस्य को नामित कर सकता है।
- राज्य की जनसंख्या के अनुपात में विधानसभा में एससी/एसटी के सदस्यों के लिए स्थान आरक्षित होता है।
विधानसभा का कार्यकाल :-
- राज्य विधानसभा निरंतर चलने वाला सदन नहीं है इसका कार्यकाल पहली बैठक से पाँच वर्ष के लिए होता है। कार्यकाल पूरा होने पर विधानसभा का विघटन स्वयं हो जाता है।
- राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान संसद विधानसभा के कार्यकाल को एक बार में 1 वर्ष के लिए बढ़ा सकती है।
- लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल खत्म होने के बाद कार्यकाल 6 महीने से अधिक नहीं होगा और इन 6 महीनों के भीतर चुनाव दोबारा होना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष :-
- विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा का पीठासीन अधिकारी होता है। विधानसभा के सदस्य अपने बीच में से ही अध्यक्ष का निर्वाचन करते हैं।
- पद रिक्तता -
- विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने पर।
- विधानसभा उपाध्यक्ष को लिखित त्यागपत्र देने पर।
- यदि विधानसभा का सभी तत्कालीन सदस्य बहुमत से संकल्प पारित करके हटाएँ। लेकिन इसके लिए 14 दिन का पूर्व नोटिस देना अनिवार्य है।
- शक्तियाँ और कार्य -
- सदन की कार्यवाही और अन्य कार्य सही ढंग से संचालित हों यह प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
- यह सदन के अंदर संविधान, सभा के नियमों और परम्पराओं का अंतिम व्याख्याकार है।
- सदन का कोरम पूर्ण न होने पर सदन की बैठक को स्थगित या निलंबित कर सकता है।
- सदन में मत बराबरी होने पर निर्णायक मत देता है।
- विधानसभा मे कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं इस पर अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष करता है।
- दसवीं सूची के प्रावधान के तहत किसी सदस्य की अयोग्यता के प्रश्न पर उठे विवाद पर फैसला करता है।
- यह विधानसभा की समस्त समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है।
- विधानसभा अध्यक्ष कार्य मंत्रणा समिति, नियम समिति, और सामान्य उद्देश्य समिति का अध्यक्ष होता है।
- सदन के नेता के आग्रह पर गुप्त बैठक की अनुमति प्रदान करता है।
विधानसभा उपाध्यक्ष :-
- विधानसभा के सभी सदस्य अध्यक्ष की भांति उपाध्यक्ष का चुनाव अपने बीच में से करते हैं।
- अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद उपाध्यक्ष का चुनाव होता है। इसका कार्यकाल विधानसभा के कार्यकाल तक होता है।
- पद रिक्तता -
- विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने पर।
- विधानसभा अध्यक्ष को लिखित इस्तीफा देने पर।
- यदि विधानसभा के सदस्य बहुमत से हटाने का संकल्प पारित कर दें। लेकिन इसके पूर्व 14 दिन का नोटिस देना अनिवारी है।
- कार्य -
- विधानसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष ही अध्यक्ष के समस्त कार्यों को करता है और इस मामले में शक्ति अध्यक्ष के समान रहती है।
सभापति का पैनल :-
- विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों में से सभापति पैनल का गठन करता है।
- पैनल के सदस्य अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करते हैं।
- इस पैनल का सदस्य जब अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है तब उसकी शक्तियाँ अध्यक्ष के समान होती हैं।