भारत का राष्ट्रपति
संविधान में प्रावधान :-
- संविधान के भाग-5 में अनुच्छेद-52 से 78 में संघ की कार्यपालिका का वर्णन किया गया है। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल, एवं महान्यायवादी आते हैं।
- भारत का राष्ट्रपति भारत राज्य का प्रमुख एवं संवैधानिक प्रमुख है।
- राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक है एवं देश की एकता एवं अखंडता का प्रतीक है।
राष्ट्रपति पद के लिए अर्हताएं :-
- राष्ट्रपति पद के लिए अर्हताएं-
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।
- चुनाव के समय लाभ के पद पर न हो।
राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन :-
- राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से निर्वाचक मंडल के निम्न सदस्यों द्वारा होता है -
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य।
- राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य।
- केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली,पुदुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
- राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा नहीं होता बल्कि एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है, एवं निर्वाचन प्रक्रिया में अनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत एवं गुप्त मतदान पद्धति को अपनाया जाता है।
चुनाव संबंधी विवादों की जांच :-
- राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बंधित सभी विवादों की जांच एवं फैसला उच्चतम न्यायालय में होते हैं और यह फैसला अंतिम होता है। यदि उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति की नियुक्ति को अवैध करता है तो राष्ट्रपति द्वारा पूर्व में किये गए कार्य अवैध नहीं होंगे।
- राष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती की निर्वाचक मंडल अपूर्ण है या किसी सदस्य का पद रिक्त है।
राष्ट्रपति चुनाव हेतु नामांकन :-
- राष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन में उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रस्तावक एवं 50 अनुमोदक होने चाहिए तथा रिजर्व बैंक में 15000 /- रूपये जमानत राशि जमा करनी होगी, यदि कुल मतों का 1/6 भाग उम्मीदवार प्राप्त नहीं करता तो यह राशि जप्त हो जाएगी।
राष्ट्रपति पद हेतु शर्तें :-
- राष्ट्रपति पद के लिए शर्तें-
- संसद के किसी भी सदन या राज्य विधायिका का सदस्य नहीं होना चाहिए, यदि है तो पद ग्रहण से पूर्व उस सदन से त्यागपत्र देना होगा।
- किसी भी लाभ के पद पर कार्यरत नहीं होना चाहिए।
- बिना किराया चुकाए आधिकारिक निवास प्रदान किया जायेगा।
- संसद द्वारा निर्धारित उपलब्धियां,भत्ते एवं विशेषाधिकार प्राप्त होंगे। एवं पद के दौरान उन्हें कम नहीं किया जा सकता है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल :-
- राष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष के लिए होता है। कार्यकाल पूर्ण होने के पहले भी राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को दे सकता है।
- राष्ट्रपति 5 वर्ष के उपरांत भी अपने पद पर बना रहता है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता यह प्रावधान पद रिक्त होने पर शासनांतरण से बचने के लिए किया गया है।
पद रिक्तता :-
- यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन या अन्य किसी कारण से रिक्त होता है तो राष्ट्रपति का चुनाव उस तिथि से 6 महीने के भीतर होना चाहिए। इस प्रकार नियुक्त राष्ट्रपति 5 वर्षों तक पद पर रहता है।
- यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन या अन्य कारणों से रिक्त से रिक्त होता है तब उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में 6 माह तक काम करता है।
- यदि उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो तो भारत का मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
- जब कोई व्यक्ति जैसे- उपराष्ट्रपति, भारत का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करते हैं तो उनको राष्ट्रपति की समस्त शक्तियां, उन्मुक्तियाँ प्राप्त होती हैं एवं सभी विशेषाधिकार मिलते हैं।
राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियां :-
- भारत सरकार के सभी शासन संबंधी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर होते हैं।
- राष्ट्रपति नियम बना सकता है ताकि वह जो आदेश दें वह वैध हो।
- राष्ट्रपति ऐसे नियम बना सकता है जिससे केंद्र सरकार सहज रूप से कार्य करें एवं मंत्रियों को कार्य का वितरण सहजता से हो सके ।
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
- राष्ट्रपति महान्यायवादी की नियुक्ति करता है एवं उसके वेतन आदि का निर्धारण करता है।
- वह भारत के महानियंत्रक व महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों, राज्य के राज्यपालों, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति करता है।
- केंद्र के प्रशासनिक कार्यों एवं विधायिका के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी प्रधानमंत्री से मांग सकता है।
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से ऐसे निर्णय का प्रतिवेदन मांग सकता है जो किसी मंत्री ने लिया हो लेकिन मंत्रिपरिषद ने अनुमोदन ना किया हो।
- वह अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्गों के लिए आयोग की नियुक्ति कर सकता है।
- केंद्र और राज्य तथा विभिन्न राज्यों के मध्य सहयोग के लिए अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति कर सकता है।
- स्वयं के द्वारा नियुक्त प्रशासकों के माध्यम से केंद्र शासित राज्यों का प्रशासन चलाता है।
- वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है तथा अनुसूचित क्षेत्र एवं जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन की शक्तियां प्राप्त हैं।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां :-
राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है एवं इसे निम्नलिखित विधायी शक्तियां प्राप्त है :-
- संसद की बैठक बुला सकता है एवं स्थगित कर सकता है तथा लोकसभा को विघटित कर सकता है।
- संसद के संयुक्त अधिवेशन को बुला सकता है है।
- प्रत्येक वर्ष तथा प्रत्येक चुनाव के बाद संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है।
- संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्य संबंध में संसद को संदेश भेज सकता है।
- लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद रिक्त होने पर लोकसभा के सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है।
- राज्यसभा के सभापति व उपसभापति के पद के पद रिक्त होने पर राज्यसभा के सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है।
- साहित्य, विज्ञान, कला एवं समाज सेवा से जुड़े तथा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकता है।
- लोकसभा में दो आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
- चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर निर्णय कर सकता है।
- विशेष प्रकार के विधायकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति जरूरी है जैसे- संचित निधि से खर्च संबंधी विधेयक या राज्य की सीमा परिवर्तन से संबंधित विधेयक।
- संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता है एवं हस्ताक्षर के उपरांत ही वह कानून बनता है।
- राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक व राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के लिए विचार के लिए भेजा जाता है तो राष्ट्रपति को सहमत देना या ना देना।
- संसद के सत्र न चलने पर उस अवधि में अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
- महानियंत्रक महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखना।
- अंडमान व निकोबार दीप समूह, लक्ष्यद्वीप, दादर एवं नागर हवेली तथा दमन व दीव में शांति और विकास के लिए विनियम बना सकता है।
- राष्ट्रपति पुदुचेरी के लिए भी नियम बना सकता है लेकिन जब वहां की विधानसभा निलंबित हो या विघटित हो।
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां :-
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां एवं कार्य निम्नलिखित हैं :-
- धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है ।
- वार्षिक वित्तीय विवरण अर्थात केंद्रीय बजट को संसद के समक्ष रखता है।
- अनुदान की कोई भी मांग राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना नहीं की जा सकती।
- राष्ट्रपति भारत की आकस्मिक निधि से अदृश्य व्यय हेतु अग्रिम भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।
- राष्ट्रपति राज्य व केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे हेतु वित्त आयोग का गठन करता है।
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां :-
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
- उच्चतम न्यायालय से किसी विधि या तथ्य पर सलाह ले सकता है लेकिन सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं।
- किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध व्यक्ति के लिए दण्डादेश को निलंबित माफ या परिवर्तित कर सकता है।
राष्ट्रपति की कूटनीतिक शक्तियां :-
- अंतर्राष्ट्रीय संधियां एवं समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं एवं राष्ट्रपति अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है एवं कूटनीतिज्ञों को भेजता है उनका स्वागत करता है।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां :-
- राष्ट्रपति भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है एवं थल सेना, जल व वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है ।
- राष्ट्रपति संसद के अनुमति के अनुसार युद्ध या इसकी समाप्ति की घोषणा करता है।