राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत का वर्णन संविधान के भाग-4 में अनुच्छेद 36 से 51 में किया गया है। आयरलैंड के संविधान से प्रेरित है।
- भारत के संविधान में कल्याणकारी राज्य की संकल्पना का समावेश नीति निर्देशक सिद्धांतों में किया गया है।
- अनुच्छेद-38: राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा जिससे नागरिक को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय मिलेगा।
- अनुच्छेद-39(क): समान न्याय और निशुल्क विधिक सहायता समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था।
- अनुच्छेद-39(ख): सार्वजनिक धन का स्वामित्व तथा नियंत्रण इस प्रकार करना की सर्वजनिक हित का का सर्वोत्तम साधन हो सके।
- अनुच्छेद-39(ग): धन का समान वितरण।
- अनुच्छेद-40: ग्राम पंचायतों का गठन।
- अनुच्छेद-41: कुछ दशाओं में काम शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार।
- अनुच्छेद-42: काम की न्याय संगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का प्रावधान।
- अनुच्छेद-43: कर्मकारों के लिए निर्वाचन मजदूरी एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन ।
- अनुच्छेद-44: नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता।
- अनुच्छेद-46: अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधित हितों की अभिवृद्धि।
- अनुच्छेद-47:पोषाहार स्तर, जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य।
- अनुच्छेद-48: कृषि एवं पशुपालन का संगठन।
- अनुच्छेद-48(क): पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन एवं वन्यजीवों की रक्षा।
- अनुच्छेद-49: राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण।
- अनुच्छेद-50: कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का पृथक्करण।
- अनुच्छेद-51:अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।
निम्न अनुच्छेद भी राज्य के लिए निर्देशक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं-
- अनुच्छेद-350(क): प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा देना।
- अनुच्छेद-351: हिंदी को प्रोत्साहन देना।