भारतीय नागरिकता
नागरिकता का संविधान में प्रावधान :
- संविधान के भाग-2 में अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में वर्णन किया गया है। भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है जो ब्रिटेन से लिया गया है।
भारत में नागरिकता प्राप्त करने का तरीका :
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार निम्न में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है-- जन्म से- प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म संविधान लागू होने और था 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में हुआ हो वह जन्म से भारत का नागरिक होगा। अपवाद राजनयिकों के बच्चे एवं विदेशियों के बच्चे।
- वंश परंपरा द्वारा नागरिकता- भारत के बाहर अन्य देश में 26 जनवरी 1950 के पश्चात जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हूं।
- देशीयकरण द्वारा नागरिकता- भारत सरकार से देशीयकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त कर भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।
- पंजीकरण द्वारा नागरिकता- निम्नलिखित लोग पंजीकरण के द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं-
- वे व्यक्ति जो पंजीकरण प्रार्थना पत्र देने की तिथि से 6 माह पूर्व से भारत में रह रहें हों।
- वे भारतीय जो अविभाज्य भारत से बाहर किसी देश में निवास कर रहे हों।
- वे स्त्रियां जो भारतीयों से विवाह कर चुकी हैं या करने वाली हैं।
- भारतीय नागरिकों के नाबालिक बच्चे।
- राष्ट्रमंडलीय देशों के नागरिक जो भारत में रहते हों या भारत सरकार की नौकरी करते हों।
- भूमि विस्तार द्वारा- यदि किसी नए भूभाग को भारत में शामिल किया जाता है तो क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को अपने आप ही भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
नागरिकता का अंत:
नागरिकता का अंत निम्न प्रकार से हो सकता है-- नागरिकता का परित्याग करने से - एक भारतीय नागरिक जो पूर्ण उम्र एवं क्षमता का है तब वह घोषणा करके भारतीय नागरिकता का परित्याग कर सकता है। परित्याग करने के बाद उसके नाबालिक बच्चे भी भारतीय नागरिक नहीं रहते, लेकिन बच्चे 18 वर्ष के होने पर भारतीय नागरिक बन सकते है।
- बर्खास्तगी के द्वारा - यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी नागरिकता स्वयं बर्खास्त हो जाएगी। लेकिन यह व्यवस्था तब लागू नहीं होगी जब भारत युद्ध में व्यस्त हो।
- सरकार द्वारा वंचित करने पर- केंद्र सरकार नागरिक को आवश्यक रूप से बर्खास्त करेगी यदि :
- नागरिकता फ़र्ज़ी तरीके से प्राप्त की गयी हो।
- नागरिक ने संविधान के प्रति अनादर जताया हो।
- युद्ध के दौरान शत्रु के साथ गैर कानूनी सम्बन्ध स्थापित किया हो या सूचना दिया हो।
- पंजीकरण या प्राकृतिक नागरिकता के पांच वर्ष के दौरान नागरिक को किसी देश में दो वर्ष की कैद हुयी हो।
- सामान्य रूप से भारत के बाहर सात वर्षों से रह रहा हो।
भारत में निवासरत लोगों के प्रकार:
- भारत में दो तरह के लोग रहते हैं नागरिक एवं विदेशी। नागरिक भारतीय राज्य के पूर्व सदस्य होते हैं उनको सभी सिविल और राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं। विदेशी किसी अन्य राज्य के नागरिक होते हैं इसलिए उन्हें सभी नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते।
भारतीय नागरिकों को प्राप्त अधिकार जो विदेशियों को प्राप्त नहीं :
भारतीय संविधान निम्नलिखित अधिकार भारतीय नागरिकों को देता है जो विदेशियों को प्राप्त नहीं-- अनुच्छेद 15- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद से प्रतिषेध।
- अनुच्छेद 16- लोक नियोजन के विषय में समता का अधिकार ।
- अनुच्छेद 19- वाक् स्वातंत्र्य एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सम्मेलन, संघ, संचरण, निवास व व्यवसाय की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 29 व 30 संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार।
- लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार।
- संसद एवं राज्य विधानमंडल की की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार।
- सार्वजनिक पदों जैसे- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल आदि की योग्यता रखने का अधिकार।
- भारत में नागरिक जन्म से या प्राकृतिक रूप से से राष्ट्रपति बनने की योग्यता रखते हैं।
- उपरोक्त अधिकारों के साथ भारतीय नागरिकों को भारत के प्रति कुछ कर्तव्यों का भी निर्वहन करना होता है। जैसे कर भुगतान,राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का सम्मान, देश की रक्षा आदि।
भारत की एकल नागरिकता :
- यद्यपि भारतीय संविधान संघीय प्रकृति का है जिसमें केंद्र एवं राज्य के लिए दोहरी राज्यपद्धति अपनायी गयी है लेकिन नागरिकता एकल है अर्थात भारतीय नागरिकता। भारत में राज्यों के लिए पृथक नागरिकता का प्रावधान नहीं किया गया है।
- भारत में नागरिकों को समान अधिकार दिए गए हैं चाहे उनका जन्म किसी भी राज्य में हुआ हो या निवास किसी अन्य राज्य में हो उनके बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था भाई चारे एवं लोगों के बीच एकता बनाये रखने के लिए की गयी ताकि एक शक्तिशाली भारतीय राष्ट्र की स्थापना हो सके।
- अन्य संघीय राज्यों जैसे अमेरिका एवं स्विट्जरलैंड में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था को अपनाया गया है। अमेरिका में प्रत्येक व्यक्ति अमेरिका का तो नागरिक है साथ ही साथ जिस राज्य में रहता है वहां की नागरिकता भी उसे प्राप्त होती है। इसप्रकार उसे दोहरी नागरिकता के साथ राष्ट्रीय एवं राज्य सरकार के दोहरे अधिकार प्राप्त होते हैं।
- अमेरिका जैसी यह व्यवस्था भेदभाव की समस्या पैदा कर सकती है जैसे- राज्य अपने नागरिकों के साथ भेदभाव बरत सकता है जैसे मताधिकार,सार्वजनिक पद या व्यवसाय को लेकर।
भारतीय मूल के कार्डधारक व्यक्ति (पीआईओ):
जो व्यक्ति गृह मंत्रालय योजना दिनांक 19 अगस्त 2002 के अंतर्गत पीआईओ कार्डधारक के रूप में पंजीकृत है वो पीआईओ कहलाता है।
पीआईओ बनने की योग्यता -
- किसी समय भारतीय पासपोर्ट धारक हो। या
- वह या उसके माता पिता में से कोई या उसके पितामह जो भारत में जन्में हों एवं भारत शासन अधिनियम 1935 के प्रभावी होने से पूर्व से भारत के स्थायी नागरिक हों या इस अवधि के बाद किसी क्षेत्र के भारत के अभिन्न अंग बनने से पूर्व वहां के निवासी हों या उस अवधि में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान या श्रीलंका के नागरिक न हों। या
- किसी भारतीय नागरिक या भारत में जन्में व्यक्ति का पति या पत्नी हो।
पीआईओ के लिए अपात्र राष्ट्र :
- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, चीन, पाकिस्तान एवं श्रीलंका।
पीआईओ के फायदे :
- भारत की यात्रा के लिए अलग से वीजा की जरुरत नहीं।
- यदि भारत में रहने की अवधि 180 दिनों से अधिक नहीं है तो किसी प्रकार के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है यदि 180 दिनों की अवधि समाप्त हो जाती है तब 30 दिनों के भीतर पुनः FRR में या FRRO में पंजीकरण किया जा सकता है।
- कृषि एवं बागान स्थापना को छोड़कर अप्रवासी भारतियों के समान सभी आर्थिक, वित्तीय, शैक्षिक एवं अन्य सुविधाएँ।
पीआईओ भारत में कौन से कार्य कर सकता है:
- पर्वतारोहण, मिशनरी, शोधकार्य तथा प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा को छोड़कर सभी कार्य कर सकता है एवं विशेष अनुमति की जरुरत नहीं होगी।
भारतीय नागरिकता के लिए प्रावधान :
- यदि कोई पीआईओ नागरिकता के लिए आवेदन देने से पहले 7 वर्षों से अधिक समय से भारत में रह रहा है तो उसे नागरिकता मिल सकती है।