केंद्रीय मंत्रिपरिषद

केंद्रीय मंत्रिपरिषद

  • भारत के संविधान में वर्णित सरकार की संसदीय प्रणाली के अनुसार राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंत्रिपरिषद होती है। इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
  • मंत्रिपरिषद में शामिल मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। सामान्यतौर पर लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाता है।
  • यदि कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) का सदस्य नहीं है तो वह अधिकतम 6 माह तक मंत्री पद पर रह सकता है।  इस अवधि के अंदर उसे किसी भी सदन की सदस्य्ता लेनी होगी अन्यथा वह मंत्री नहीं रहेगा।
  • सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करते हैं, राष्ट्रपति किसी भी समय मंत्री को बर्खास्त कर सकता है लेकिन इसके लिए प्रधानमंत्री की सलाह आवश्यक है।
  • मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलवाई जाती है।
  • मंत्रियों के वेतन भत्ते का का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है। मंत्रियों को संसद सदस्य को मिलने वाला वेतन दिया जाता है इसके अलावा उनको पद के अनुसार व्यय सबंधी भत्ते भी मिलते हैं।
  • राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है (अनुच्छेद 74), राष्ट्रपति चाहे तो एक बार सलाह पर पुनर्विचार के लिए कह सकता है लेकिन यदि मंत्रिपरिषद दोबारा सलाह दे तो यह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी होगी। (42वां व 44वां संसोधन)
  • अनुच्छेद 75 के अनुसार मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी अर्थात सभी मंत्री अपने कार्यों के लिए लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार होंगे। 
  • यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करती है तब सभी मंत्रियों (चाहे लोकसभा या राज्यसभा के हों ) को त्यागपत्र देना होता है।
  • मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है कि लोकसभा जनमत का निष्ठापूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं करता इसलिए इस सदन को विघटित कर नया चुनाव कराना चाहिए।
  • यदि मंत्रिपरिषद को लोकसभा में बहुमत नहीं है तब राष्ट्रपति मंत्रिमंडल कि सलाह मानने को बाध्य नहीं है।
  • मंत्रिमंडल के निर्णय सभी केंद्रीय मंत्रियों एवं अन्य मंत्रियों के लिए बाध्यकारी है भले ही उनके विचार इस निर्णय के विपरीत हों, उनको सदन के भीतर एवं बाहर उस निर्णय का समर्थन करना है अन्यथा उनको अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।

मंत्रिपरिषद कि संरचना :-

मंत्रिपरिषद में मंत्रियों कि तीन श्रेणियां होती हैं - कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, उपमंत्री ।
  • कैबिनेट मंत्री के पास केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालय होते हैं जैसे- गृह विभाग, रक्षा विभाग, वित्त विभाग। ये मंत्री कैबिनेट के सदस्य होते हैं एवं बैठक में भाग लेते हैं। नीति निर्धारण में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
  • राज्य मंत्रियों को मंत्रालय या विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया जाता है इनको जिस विभाग का कार्य सौंपा जाता है उसके सम्बन्ध में इनके पास पूर्ण शक्ति एवं स्वतंत्रता होती है। इनको कैबिनेट मंत्री का सहयोगी भी बनाया जाता है जिनके निगरानी में ये कार्य करते हैं। राज्यमंत्री कैबिनेट के सदस्य नहीं होते एवं बैठक में विशेष कार्य हेतु बुलाये जाने पर भाग लेते हैं नियमित रूप से नहीं
  • उपमन्त्रियों के पास कोई भी मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार नहीं होता है। इनकी नियुक्ति कैबिनेट एवं राज्य मंत्रियों के राजनीतिक,प्रशासनिक एवं संसदीय कार्यों में सहायता के लिए होती है। ये कैबिनेट के सदस्य नहीं होते एवं बैठक में भाग नहीं लेते हैं
  • संसदीय सचिव मंत्रिपरिषद के सबसे अंतिम श्रेणी में होते हैं। इनके पास कोई भी विभाग नहीं होता, इनको वरिष्ठ मंत्रियों के साथ उनके संसदीय कार्यों में सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है।
  • कभी कभी मंत्रिपरिषद में उपप्रधानमंत्री को भी शामिल किया जाता है। लेकिन यह पद राजनीतिक कारणों से बनाया जाता है। जैसे अटल बिहारी बाजपेयी कि सरकार में लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री थे।

मंत्रिपरिषद एवं मंत्रिमंडल में अंतर :-

  • मंत्रिपरिषद एक संवैधानिक निकाय है। इसका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 74  एवं 75 में किया गया है। जबकि मंत्रिमंडल की व्यवस्था मूल संविधान में नहीं थी इसे 44वें संविधान संसोधन 1978  द्वारा जोड़ा गया है।
  • मंत्रिपरिषद एक बड़ा निकाय है इसमें 60 से 70 मंत्री शामिल होते हैं जबकि मंत्रिमंडल लघु निकाय है इसमें 15  से 20  मंत्री शामिल होते हैं।
  • मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणी होती है- कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री एवं उपमंत्री। जबकि मंत्रिमंडल में केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
  • मंत्रिपरिषद को सभी शक्तियां केवल कागज में प्राप्त हैं। जबकि मंत्रिमंडल सभी शक्तियों का वास्तविक रूप से प्रयोग करता है।
  • मंत्रिपरिषद के कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल करता है। जबकि मंत्रिमंडल राजनैतिक निर्णयों से सम्बंधित निर्देश मंत्रिपरिषद को देता है।
  • मंत्रिपरिषद का कार्य मंत्रिमंडल के निर्णयों को लागू करना है जबकि मंत्रिमंडल का कार्य निर्णयों के अनुपालन का निरीक्षण करना है।

मंत्रिमंडल की भूमिका :-

  • राजनैतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था में उच्चतम निर्णय लेने वाली संस्था है।
  • केंद्र सरकार का मुख्य नीति निर्धारक अंग है।
  • यह राष्ट्रपति की सलाहकारी संस्था है इसकी सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी है।
  • सरकार के स्तर पर मुख्य आपदा प्रबंधन का कार्य करती है।
  • सभी बड़े विधायी एवं वित्तीय मामलों को देखती है।
  • यह उच्चतम स्तर पर अधिकारियों एवं प्रशासकों की नियुक्ति को नियंत्रित करती है। 
  • यह संस्था विदेश नीतियों एवं विदेश मामलों को भी देखती है।

किचेन कैबिनेट :-

  • किचेन कैबिनेट में 15 से 20 महत्वपूर्ण मंत्री शामिल होते हैं। औपचारिक रूप से निर्णय लेने वाली उच्चतम संस्था होती है। 
  • इसमें प्रधानमंत्री के खास लोग जैसे- मित्र एवं पारिवारिक सदस्य भी शामिल होते हैं। यह संस्था प्रधानमंत्री को महत्वपूर्ण राजनैतिक एवं प्रशासनिक मुद्दों पर सलाह देती है।

मंत्रिमंडलीय समितियां :-

  • कैबिनेट विभिन्न समितियों के माध्यम से कार्य करती है ये मंत्रिमंडलीय समितियां कहलाती हैं।
  • इन समितियों का वर्णन संविधान में नहीं है बल्कि इनके गठन हेतु प्रावधान बनाये गए हैं ।
  • मंत्रिमंडलीय समितियां दो प्रकार की होती हैं- स्थायी समिति एवं तदर्थ समिति या अस्थायी समिति।
  • मंत्रिमंडलीय समितियों में सदस्य संख्या 3 से 8 तक होती है एवं प्रत्येक समिति में एक कैबिनेट मंत्री शामिल होता है। गैर कैबिनेट मंत्री भी सदस्य बन सकता है।
  • इन समितियों में सम्बंधित मामलों के मंत्री के साथ वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हो सकते हैं।
  • अधिकांश समितियां प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करती है। कुछ समितियों की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री भी करते हैं।
  • चार महत्वपूर्ण स्थायी समितियां - राजनीतिक मामलों से सम्बंधित समिति, आर्थिक मामलों से सम्बंधित समिति, नियुक्ति समिति, संसदीय मामलों से सम्बंधित समिति।
  • राजनीतिक मामलों से सम्बंधित समिति, आर्थिक मामलों से सम्बंधित समिति, नियुक्ति समिति का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।
  • संसदीय मामलों से सम्बंधित समिति का प्रमुख गृहमंत्री होता है।
  • राजनीतिक मामलों से सम्बंधित समिति को सुपर कैबिनेट कहा जाता है।