मध्यप्रदेश की राज्यव्यवस्था - Madhya Pradesh Polity Notes Hindi For MPPSC, UPSC, Vyapam Exam

मध्यप्रदेश की राज्यव्यवस्था


मध्यप्रदेश की राज्यव्यवस्था 

मध्यप्रदेश की नवीन विधानसभा :- मध्य प्रदेश की नवीन विधान सभा का उद्घाटन 3 अगस्त 1996 को किया गया। नवीन विधान सभा का डिजाईन चार्ल्स कोरिया द्वारा किया गया था। नवीन विधानसभा की दीवारों पर जनगढ़ श्याम द्वारा आदिवासी चित्रों का चित्रांकन किया गया है। विधानसभा भवन राजधानी भोपाल में अरेरा हिल्स पर है, इसका नाम इंदिरा गांधी विधान भवन है। इसके पूर्व विधानसभा मिन्टो हाल में लगती थी। मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 230 है जिसमें से 35 अनुसूचित जाति के लिए एवं 47 स्थान अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 
                      मध्य प्रदेश विधान सभा के पहले अध्यक्ष कुंजीलाल दुबे थे। वर्तमान में मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम हैं। 

मध्य प्रदेश की राज्य विधायिका :- मध्य प्रदेश का विधानमंडल राज्यपाल और विधानसभा से मिलकर बना है। मध्य प्रदेश विधानमंडल एक सदनीय है (क्योंकि केवल विधानसभा है)। विधानपरिषद का प्रस्ताव विधानसभा ने पारित किया था लेकिन संसद को नहीं भेजे जाने के कारण विधान परिषद की स्थापना नहीं हो सकी। 

मध्यप्रदेश का लोकसभा में प्रतिनिधित्व :- मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा क्षेत्र हैं। जिनमें से अनुसूचित जाति के लिए 4 स्थान एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 6 स्थान आरक्षित हैं। 

मध्यप्रदेश का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व :- राज्यसभा में मध्यप्रदेश की 11 सीटें है । 


मध्य प्रदेश की कार्यपालिका:- 


मंत्रिपरिषद :- संविधान के अनुच्छेद 168 के तहत राज्यपाल को सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी। मध्य प्रदेश की पहली मंत्रिपरिषद 1956 में बनी एवं पंडित रविशंकर शुक्ल पहले मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश के बने। जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के अनुसार मध्य प्रदेश में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं।  

मुख्यमंत्री :- विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता को राज्यपाल मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त करता है। सुश्री उमा भारती मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री रही। 

राज्यपाल :- संविधान के अनुच्छेद 154 के तहत राज्य कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल पट्टाभि सीतारमैया हुए। एवं मध्य प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल सरला ग्रेवाल हुईं। आनंदी बेन पटेल मध्य प्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल हुईं। वर्तमान में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल हैं। 

मध्यप्रदेश का प्रशासनिक तंत्र :- 


मध्यप्रदेश राज्य सचिवालय :- मध्यप्रदेश प्रशासन का केंद्र बिन्दु सचिवालय है जो वल्लभ भवन भोपाल में स्थित है। यह मंत्रियों और सचिवों दोनों का कार्यालय है। मंत्रालय जहां नीति निर्माण का कार्य करते हैं वहीं सचिवालय का कार्य नीति के संबंध में परामर्श देना है। 

मध्यप्रदेश का मुख्य सचिव :- राज्य में मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है, इस पद पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की नियुक्ति होती है। इसकी रैंक भारत सरकार में सचिव के स्तर की होती है। मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्य सचिव एच0 एम0 कामथ थे। वर्तमान में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह वैश्य हैं। 

मध्य प्रदेश क्षेत्रीय इकाईयां :- मध्य प्रदेश में 10 संभाग और 52 जिले हैं। जिलों के अंतर्गत अनुभाग, तहसील, और उप तहसीलें सामान्य प्रशासन से संबंधित नियमिकीय कार्य तथा राजस्व प्रशासन से संबंधित कार्य करती हैं। 

संभाग आयुक्त :- राज्य के समस्त 10 संभागों में प्रमुख अधिकारी के रूप में आईएएस अधिकारी संभागयुक्त के रूप में कार्य करता है। संभागायुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होता है जो सचिव स्तर का होता है। 

जिला कलेक्टर :- जिला कलेक्टर जिले का प्रमुख अधिकारी होता है। जो एक आईएएस अधिकारी होता है। यह उपसचिव स्तर का अधिकारी होता है। जिले में कानून व्यवस्था एवं विकास संबंधित कार्य की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होती है। 

मध्य प्रदेश की प्रमुख नियामक संगठन / संस्थाएं :- 


लोकायुक्त :- भ्रष्टाचार पर अंकुश रखने के उद्देश्य से 1981 में लोकायुक्त और उपलोकायुक्त अधिनियम पारित किया गया। लोकयुक्त संगठन का प्रमुख अधिकारी लोकायुक्त होता है। इस पद पर नियुक्ति रिटायर्ड या कार्यरत जस्टिस को बनाया जाता है। यह एक स्वायत्त संस्था है। 

मध्यप्रदेश राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो :- इस संस्था की स्थापना 1983 में की गई इसका मुख्यालय भोपाल में है। इसका क्षेत्रीय कार्यालय प्रत्येक संभाग में है। यह संस्था सामान्य प्रशासन के अंतर्गत आती है। इसका प्रमुख कार्य आर्थिक अनियमितताओं संबंधी लोक सेवाओं के मामले की जांच करना और विचारण के लिए न्यायालय में मुकदमा दायर करना। 

मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता आयोग :- मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता आयोग की स्थापना मार्च 1964 में की गई। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने स्थायी राज्य सतर्कता आयोग की अनुशंसा की। इसके कार्यालय संभाग स्तर और जिला स्तर में भी होते हैं। 

जिला सतर्कता समितियाँ :- मध्य प्रदेश शासन द्वारा लोकायुक्त  एवं उपलोकायुक्त अधिनियम में संसोधन कर जिला जिला स्तर पर जिला सतर्क समितियों के गठन का प्रावधान किया गया। सरकार द्वारा स्थानीय निकायों के कार्य अधिकारों को छोड़कर विकास से संबंधित अन्य कार्य समिति को दे दिए गए। 

मध्यप्रदेश महालेखाकार :- मध्यप्रदेश का महालेखाकार कार्यालय लेखा भवन ग्वालियर में स्थित है। यह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधीन कार्य करता है। इसका प्रमुख कार्य राज्य सरकार के सभी विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों के लेखांकन और लेखा परीक्षण करना है। 

महाधिवक्ता कार्यालय :- मध्य प्रदेश का सर्वोच्च विधि अधिकारी महाधिवक्ता (Advocate General of India) होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। मध्यप्रदेश में महाधिवक्ता जबलपुर हाईकोर्ट में काम करते हैं जबकि अतिरिक्त महाधिवक्ता इंदौर एवं ग्वालियर खंडपीठ में कार्य करते हैं। एम0 अधिकारी को 1956 में मध्य प्रदेश का प्रथम महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह है, इनको 2021 में नियुक्त किया गया। 

राज्य मानवाधिकार आयोग :- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21(1 ) के तहत मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग का गठन सितंबर 1995 में किया गया। आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त या उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है। आयोग एक स्वायत्त निकाय है। इसका कार्य प्रशासन द्वारा व्यक्ति के मानवाधिकार हनन मामलों की जांच करना और इस संबंध में सरकार को प्रतिवेदन देना है। मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन हैं। 

मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग :- मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का गठन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत किया गया। आयोग का कार्यालय सूचना भवन, भोपाल में स्थित है। मध्यप्रदेश सूचना आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अरविन्द कुमार शुक्ला हैं। 

मध्यप्रदेश विज्ञान तथा प्रोद्योगिकी परिषद :- मध्यप्रदेश में इस परिषद की स्थापना 1981 में हुई, यह एक स्वायत्त संस्था है। परिषद की महासमिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है। परिषद का महानिदेशक प्रदेश सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार होता है। 

मध्यप्रदेश पुलिस प्रशासन :-


पुलिस महानिदेशक :- मध्यप्रदेश में राज्य का सबसे बड़ा पुलिस अधिकारी पुलिस महानिदेशक होता है, इस पद का सृजन प्रदेश में 1982 में किया गया था। मध्य प्रदेश के पहले पुलिस महानिदेशक बी0 पी0 दुबे थे। मध्य प्रदेश के वर्तमान पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना हैं। 

पुलिस जोन / आईजी रेंज :- मध्य प्रदेश में पुलिस जोन का मुखिया पुलिस महानिरीक्षक होता है। मध्यप्रदेश को 11 पुलिस जोन में बाँटा गया है।मध्य प्रदेश के प्रथम पुलिस महानिरीक्षक श्री वी जी घाटे थे। 

डीआईजी रेंज :- मध्य प्रदेश के गठन के समय 5 डीआईजी रेंज थे वर्तमान में 15 पुलिस डीआईजी रेंज हैं। डीआईजी रेंज का अधिकारी पुलिस उपमहानिरीक्षक होता है। 

पुलिस अधीक्षक :- प्रत्येक जिले का पुलिस अधिकारी पुलिस अधीक्षक (SP) होता है। इसका प्रमुख काम पुलिस प्रशासन की मदद से अपराधों की रोकथाम करना है।  

नगर सेना :- मध्य प्रदेश में नगर सेना पैरा पुलिस फोर्सेस के रूप में कार्यरत है। इनकी सेवाएं ट्रैफिक, सार्वजनिक संपत्ति, और उच्च अधिकारियों की सुरक्षा में ली जाती है। 

होमगार्ड :- मध्यप्रदेश में होमगार्ड का एक व्यवस्थित संगठन है। इस संगठन के अपने महानिदेशक एवं महानिरीक्षक होते हैं। विशेष अवसरों जैसे त्योहारों, दंगे फसाद आदि में इनकी सेवाएं ली जाती हैं। होमगार्ड का जिला अधिकारी डिस्ट्रिक्ट कमांडेट होता है। मध्यप्रदेश में होमगार्ड की 108 कंपनियां हैं। 

रेलवे पुलिस :- मध्यप्रदेश में रेलवे पुलिस एक अलग संगठन है। इसका भी एक महानिरीक्षक होता है। महानिरीक्षक के अधीन 3 सेक्शन आते हैं - इंदौर, भोपाल, और जबलपुर। 

फोरेंसिक प्रयोगशालाएं :- मध्यप्रदेश में अपराध अनुसंधान में मदद करने के लिए 4 फोरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित हैं - सागर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर। 

मध्यप्रदेश में जेलें :- मध्यप्रदेश में कुल केन्द्रीय जेल 11, जिला जेल 40, उपजेल 71 एवं खुली जेल 2 हैं। मध्यप्रदेश की पहली खुली जेल होशंगाबाद में है। दूसरी मध्यप्रदेश की खुली जेल 2018 में सतना में बनी। 

मध्यप्रदेश न्यायिक प्रशासन :-


उच्च न्यायालय :- मध्य प्रदेश में उच्च न्यायालय का मुख्यालय जबलपुर में हैं। प्रारंभ में मध्यप्रदेश नागपूर उच्च न्यायालय के अधीन था। 1 नवम्बर 1956 को नागपूर उच्च न्यायालय को मध्यप्रदेश का उच्च न्यायालय बनाया गया और जबलपुर में स्थापित हुआ। इंदौर और ग्वालियर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ हैं। इन खंडपीठों को 1968 में स्थायी किया गया। वर्तमान में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या मुख्य न्यायाधीश को मिलकर 28 है। मोहम्मद हिदायतुल्ला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश बने। वर्तमान में मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि मलिमथ हैं। 

जिला एवं सत्र न्यायालय :- ये न्यायालय सेशन कोर्ट कहलाते हैं। यह जिले का सबसे बड़ा न्यायालय है। इस कोर्ट के न्यायाधीश को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कहते हैं। जब न्यायाधीश दीवानी मामलों (सिवल केस) से निपटते हैं तो उनको जिला न्यायाधीश कहा जाता है, एवं जब न्यायाधीश आपराधिक मामलों से निपटते हैं तो उन्हें सत्र न्यायाधीश कहा जाता है। 

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (C.J.M.):- मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय जिला स्तर पर आपराधिक न्यायपालिका का सर्वोच्च निकाय है, और इसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट करते हैं। न्यायालय का प्रशासनिक कार्य भी यही देखते हैं। 

व्यवहार न्यायाधीश प्रथम व द्वितीय वर्ग :- अधीनस्थ न्यायालयों में भर्ती व्यावहारिक न्यायाधीश वर्ग दो के पदों पर होती है, जो प्रशिक्षण के बाद व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 में पदोन्नत हो जाते हैं। 

विशेष न्यायालय :- मध्यप्रदेश में प्रत्येक जिले में दो विशेष न्यायालय का प्रावधान है- एक अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को सामाजिक शोषण से बचाने के लिए। दूसरा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सुनवाई के लिए।

राजस्व न्यायालय :- भूमि संबंधी दीवानी प्रकरण के निपटारे के लिए राजस्व न्यायालयों की स्थापना की गई। इन न्यायालयों के शीर्ष पर राजस्व बोर्ड है। मध्यप्रदेश राजस्व बोर्ड का मुख्यालय ग्वालियर में है।  

फास्ट ट्रैक कोर्ट :- मध्य प्रदेश में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना 1 अप्रैल 2001 से शुरू हुई। इसका उद्देश्य लंबित पड़े मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए है। मध्यप्रदेश में 85 फास्ट ट्रैक कोर्ट है। 

ग्राम न्यायालय :- मध्य प्रदेश में ग्राम न्यायालयों की स्थापना की शुरुवात 26 जनवरी 2001 से राज्य सरकार ने की। इसका उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों को गाँव में ही निपटाया जा सके। इसके तहत दस या अधिक ग्राम पंचायतों में एक ग्राम न्यायालय स्थापित होगा। इसकी शुरुवात प्रदेश सरकार ने नीमच जिले के झांतला ग्राम पंचायत से की। ग्राम न्यायालय में 7 सदस्य होते हैं। 
                      लेकिन 2009 से भारत सरकार की ग्राम न्यायालय योजना 2009 से लागू है। इसके तहत मध्यप्रदेश में बनने वाला पहला ग्राम न्यायालय भोपाल जिले में बैरसिया है। जो कि 2 अक्टूबर 2009 में स्थापित हुआ। गाम न्यायालय दीवानी वाद में 20 हजार तक के मामले सुन सकता है एवं ऐसे फौजदारी मामलों की सुनवाई कार सकता है जिसमें 2 वर्ष से कम की सजा हो। 

राष्ट्रीय विधि अकादमी :- मध्यप्रदेश के भोपाल में केंद्र सरकार ने सितंबर 2002 में राष्ट्रीय विधि अकादमी की स्थापन की।  इस अकादमी में जजों का सेवाकलीन प्रशिक्षण होता है। 

मध्यप्रदेश के गठन के बाद पंचायतीराज का विकास :-


पाण्डे समिति एवं म0प्र0 पंचायत राज अधिनियम 1962 :- केंद्र में बनी मेहता समिति के अनुरूप म0प्र0 में भी काशी प्रसाद पाण्डे की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय समिति का गठन किया गया। इसका उद्देश्य था मध्यप्रदेश में एक समान पंचायती राज कायम करने के लिए सुझाव देना। 
                    पाण्डे समिति ने सितंबर 1958 में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया इसमें बलवंतराय मेहता समिति की अनुशंसाओं का अनुसरण किया गया। समिति ने निम्न सिफारिशें की :- 
  • मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज और न्याय पंचायत प्रणाली को लागू किया जाए। 
  • ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, जनपद स्तर पर जनपद पंचायत एवं जिला स्तर पर जिला पंचायत का गठन किया जाए। 
  • निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर हो जो ग्राम स्तर पर प्रत्यक्ष हो एवं अन्य स्तर पर अप्रत्यक्ष हो। 
  • जनपद स्तर पर निर्वाचन के साथ विशेष परिस्थिति में मनोनयन भी किया जा सकता है। (इसे बाद में हटा दिया गया)। 
मध्यप्रदेश पंचायतीराज अधिनियम 1993 :- इस अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था कायम की गई। यह अधिनियम प्रदेश में केंद्र के 73 वें संशोधन द्वारा निर्मित पंचायतीराज अधिनियम 1992 के निर्देशों के तहत बनाया गया। 

ग्राम पंचायत :- 1000 की आबादी हेतु एक या अधिक गांवों को मिलाकर ग्राम पंचायत निर्मित के गई जो पंचायत प्रणाली का सबसे निचला स्तर है। ग्राम सभा के सदस्य सरपंच एवं पांचों को प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुनते हैं। ग्राम पंचायत का अधिकारी सचिव होता है। शासन द्वारा सरपंच को ग्राम निर्माण समिति एवं ग्राम विकास समिति का पदेन अध्यक्ष घोषित किया है। सरपंच ग्राम पंचायत की बैठक कब होना है ते करता है। 1 माह में न्यूनतम एक बैठक बुलाना अनिवार्य है। 
ग्राम पंचायत के कार्य :- 
  • स्वच्छता, सफाई का कार्य पंचायत में करना। 
  • सार्वजनिक कुओं, तालाबों का निर्माण एवं संवर्धन। 
  • नहाने, कपड़ा धोने एवं पशुओं के पीने के लिए जल स्त्रोतों का निर्माण एवं संवर्धन करना। 
  • सड़क, पुल, बांध, एवं सार्वजनिक भवनों का निर्माण करना। 
  • अतिक्रमण हटाना। 
  • मनोरंजन के लिए पार्क का निर्माण, बगीचों का निर्माण, हाट, बाजार का आयोजन आदि। 
  • सार्वजनिक शौचालय का निर्माण एवं अनुरक्षण करना। 

ग्राम सभा :- प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम सभा होती है। सभी वयस्क सदस्य ग्राम सभा के सदस्य होते हैं। मध्यप्रदेश में वर्ष में कम से कम 4 सभाएं अवश्य होती हैं। ग्राम सभा की बैठक सरपंच बुलाता है लेकिन यह बैठक कब और कहाँ होगी यह ग्राम सभा तय करती है। ग्राम पंचायत का सचिव ही ग्राम सभा का सचिव होता है। 

जनपद पंचायत:- यह पंचायतीराज प्रणाली का मध्य स्तर है। यह विकासखण्ड स्तर पर कार्य करता है। इसके सदस्यों का चुनाव भी सीधे मतदान द्वारा होता है लेकिन अध्यक्ष को निर्वाचित हुए सदस्य चुनते हैं। जनपद पंचायत में 10 से 25 तक वार्ड हो सकते हैं। जिन विकासखण्ड में 50 हजार से कम जनसंख्या है वहाँ कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्र होंगे एवं अधिकतम 25। 
जनपद पंचायत के कार्य :- 
  • जनपद क्षेत्र में स्वच्छता, स्वास्थ्य की देखभाल करना। 
  • पुल  एवं बांधों का निर्माण करना। 
  • सामाजिक वानिकी, पशुपालन, कुटीर उद्योग की स्थापना। 
  • नलकूप खुदवाना, कुआं खुदवाना। 
  • महिला एवं बाल विकास की देखरेख। 
  • निःशक्तों, वृद्धों एवं पिछड़े वर्गों का कल्याण। 
  • प्राकृतिक आपदा के समय राहत कार्य आदि। 

जिला पंचायत :- जिला पंचायत, पंचायतीराज प्रणाली का शीर्षस्थ स्तर है। प्रत्येक जिला में एक जिला पंचायत होती है। इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होता है। चुने गए सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। जिला पंचायत मे वार्डों की संख्या 10 से लेकर 35 तक होती है। जिस जिले में 5 लाख से काम जनसंख्या है वहाँ पर निर्वाचन क्षेत्र न्यूनतम 10 एवं अधिकतम 35 होंगे। 
जिला पंचायत के कार्य :- 
  • जनपद से प्राप्त योजनाओं का समन्वय करना। 
  • जनपदों की सहायता करना। 
  • परिवार नियोजन, ग्रामीण विकास, रोजगार योजनाओं का क्रियान्वयन। 
  • खेलकूद की गतिविधियों का संचालन करना। 
  • निराश्रितों, युवा महिलाओं के लिए कार्यक्रम। 



प्रशासनिक संस्था एवं इनके मुख्यालय 

  संस्था  मुख्यालय 
मध्यप्रदेश वित्त निगम  इंदौर 
मध्य प्रदेश योजना आयोग  भोपाल 
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर 
महात्मा गाँधी ग्रामीण विकास संस्थान अमरकंटक (अनूपपुर)
ग्रामीण पंचायत प्रशिक्षण संस्थान अमरकंटक (अनूपपुर)
मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम भोपाल
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल
नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी भोपाल
मध्य प्रदेश विद्युत् मंडल जबलपुर
राज्य निर्यात निगम भोपाल
लघु उद्योग निगम भोपाल
राज्य भूमि विकास निगम भोपाल
राज्य खनिज निगम भोपाल
राज्य वस्त्र निगम भोपाल
राज्य पर्यटन विकास निगम भोपाल
खादी ग्रामोद्योग बोर्ड भोपाल
चर्म विकास निगम भोपाल
माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल